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677cf0585b0812afe9e66177GROUNDNUT SWARAJ TG-37AGROUNDNUT SWARAJ TG-37Aयह एक अच्छी गुणवत्ता वाला मूंगफली का बीज है। इस किस्म के बीज से अच्छी गुणवत्ता वाली ज्यादा उपज प्राप्त होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: अप्रैल-जून मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, बलुई चिकनी मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 122-125 दिन बाद प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 38-40 किग्रा पंक्तियों / लकीरों के बीच बुवाई की दूरी: 30 सेमी पौधों के बीच बुवाई की दूरी: 22.5 सेमी बुवाई की गहराई: 8-10 सेमी विशेषता: उपज क्षमता: 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसमें कई प्रकार के रोगों को सहने की क्षमता होती है। इसमें तेल की मात्रा 49% से 50% होती है। इसमें 23% प्रोटीन पाया जाता है। खेत की तैयारी कैसे करें: मूंगफली की खेती के लिए खेत की 3 से 4 बार जुताई करें। खेत में नमी बनाए रखने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाएं। बुवाई से एक महीने पहले खेत में 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। उर्वरक का सुझाव: 13 किग्रा यूरिया और 50 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। यदि मिट्टी में पोटाश की कमी हो तो 10 किग्रा पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। इसके अलावा 50 किग्रा जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें। रोग एवं कीट नियंत्रण: - चेपा: इस कीट पर नियंत्रण के लिए 80 मिली इमीडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। - दीमक: इससे बचाव के लिए बुवाई से पहले 6.5 मिली क्लोरपाइरीफॉस से प्रति किलो बीज का उपचार करें। - फली छेदक: इस कीट से बचाव के लिए बुवाई से 40 दिन पहले प्रभावित क्षेत्रों में 13 किग्रा कार्बोफियूरॉन 3% सीजी प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में प्रयोग करें। - बीज गलन या जड़ गलन: इसकी रोकथाम के लिए बुवाई से पहले 3 ग्राम थीरम से प्रति किग्रा बीज का उपचार करें। - कुंगी: इस रोग की रोकथाम के लिए 400 ग्राम मैनकोजेब प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। जरूरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करें। - टिक्का रोग इस रोग की रोकथाम के लिए 3 ग्राम इंडोफिल एम-45 (75%) से प्रति किलो बीज का उपचार करें। 6204
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यह एक अच्छी गुणवत्ता वाला मूंगफली का बीज है। इस किस्म के बीज से अच्छी गुणवत्ता वाली ज्यादा उपज प्राप्त होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: अप्रैल-जून मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, बलुई चिकनी मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 122-125 दिन बाद प्रति एकड़ बीज...

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यह एक अच्छी गुणवत्ता वाला मूंगफली का बीज है। इस किस्म के बीज से अच्छी गुणवत्ता वाली ज्यादा उपज प्राप्त होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: अप्रैल-जून मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, बलुई चिकनी मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 122-125 दिन बाद प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 38-40 किग्रा पंक्तियों / लकीरों के बीच बुवाई की दूरी: 30 सेमी पौधों के बीच बुवाई की दूरी: 22.5 सेमी बुवाई की गहराई: 8-10 सेमी विशेषता: उपज क्षमता: 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसमें कई प्रकार के रोगों को सहने की क्षमता होती है। इसमें तेल की मात्रा 49% से 50% होती है। इसमें 23% प्रोटीन पाया जाता है। खेत की तैयारी कैसे करें: मूंगफली की खेती के लिए खेत की 3 से 4 बार जुताई करें। खेत में नमी बनाए रखने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाएं। बुवाई से एक महीने पहले खेत में 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। उर्वरक का सुझाव: 13 किग्रा यूरिया और 50 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। यदि मिट्टी में पोटाश की कमी हो तो 10 किग्रा पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। इसके अलावा 50 किग्रा जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें। रोग एवं कीट नियंत्रण: - चेपा: इस कीट पर नियंत्रण के लिए 80 मिली इमीडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। - दीमक: इससे बचाव के लिए बुवाई से पहले 6.5 मिली क्लोरपाइरीफॉस से प्रति किलो बीज का उपचार करें। - फली छेदक: इस कीट से बचाव के लिए बुवाई से 40 दिन पहले प्रभावित क्षेत्रों में 13 किग्रा कार्बोफियूरॉन 3% सीजी प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में प्रयोग करें। - बीज गलन या जड़ गलन: इसकी रोकथाम के लिए बुवाई से पहले 3 ग्राम थीरम से प्रति किग्रा बीज का उपचार करें। - कुंगी: इस रोग की रोकथाम के लिए 400 ग्राम मैनकोजेब प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। जरूरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करें। - टिक्का रोग इस रोग की रोकथाम के लिए 3 ग्राम इंडोफिल एम-45 (75%) से प्रति किलो बीज का उपचार करें।

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