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677cf0585b0812afe9e66146BHINDI DHS 1195BHINDI DHS 1195यह एक हाइब्रिड किस्म की भिंडी का बीज है। इसके पौधों में गांठों के बीच कम दूरी होने के कारण इससे अधिक उपज प्राप्त होती है। इस किस्म की भिंडी की तुड़ाई आसान होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: जून-जुलाई मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 48-50 दिन बाद प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 2.5-3 किग्रा पंक्तियों / लकीरों के बीच बुवाई की दूरी: 60 सेमी पौधों के बीच बुवाई की दूरी: 30 सेमी बुवाई की गहराई: 2.5 सेमी विशेषता: फल का रंग:चमकदार गहरा हरा फल की लंबाई: 12-14 सेमी फल की चौड़ाई: 1.5-1.8 सेमी -यह ओएलसीवी और वाईवीएमवी रोगों के प्रति सहनशील किस्म है। खेत की तैयारी कैसे करें: भिंडी की खेती के लिए 5-6 बार गहरी जुताई करें। इसके बाद जमीन को सुहागा मार कर अच्छे से समतल कर लें। आखिरी जुताई के समय 100 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद डालें। इसके बाद खालियां और मेड़ बना लें। उर्वरक का सुझाव: -शुरुआती खाद के तौर पर 120-150 क्विंटल गोबर की खाद का प्रयोग करें। 36 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। -नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय डालें। नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा को पहली तुड़ाई के बाद प्रयोग करें। रोग एवं कीट नियंत्रण: -शाख और फल का कीट (Shoot and Fruit borer): इस कीट के नियंत्रण के लिए 1 मिली स्पिनोसैड को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। -चेपा (Aphid): इस कीट से बचाव के लिए 300 मिली डाइमैथोएट को 150 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुवाई के 20-35 दिन बाद उपयोग करें। -खस्ता फफूंदी (Powdery mildew): इस रोग की रोकथाम के लिए 5 मिली डिनोकैप को 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। इसका 10 दिन के अंतराल पर 4 बार छिड़काव करें। -जड़ गलन (Root rot): इस रोग से बचाव के लिए बुवाई से पहले 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलो बीज का उपचार करें।10573
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यह एक हाइब्रिड किस्म की भिंडी का बीज है। इसके पौधों में गांठों के बीच कम दूरी होने के कारण इससे अधिक उपज प्राप्त होती है। इस किस्म की भिंडी की तुड़ाई आसान होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: जून-जुलाई मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट म...

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यह एक हाइब्रिड किस्म की भिंडी का बीज है। इसके पौधों में गांठों के बीच कम दूरी होने के कारण इससे अधिक उपज प्राप्त होती है। इस किस्म की भिंडी की तुड़ाई आसान होती है। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: जून-जुलाई मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 48-50 दिन बाद प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 2.5-3 किग्रा पंक्तियों / लकीरों के बीच बुवाई की दूरी: 60 सेमी पौधों के बीच बुवाई की दूरी: 30 सेमी बुवाई की गहराई: 2.5 सेमी विशेषता: फल का रंग:चमकदार गहरा हरा फल की लंबाई: 12-14 सेमी फल की चौड़ाई: 1.5-1.8 सेमी -यह ओएलसीवी और वाईवीएमवी रोगों के प्रति सहनशील किस्म है। खेत की तैयारी कैसे करें: भिंडी की खेती के लिए 5-6 बार गहरी जुताई करें। इसके बाद जमीन को सुहागा मार कर अच्छे से समतल कर लें। आखिरी जुताई के समय 100 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद डालें। इसके बाद खालियां और मेड़ बना लें। उर्वरक का सुझाव: -शुरुआती खाद के तौर पर 120-150 क्विंटल गोबर की खाद का प्रयोग करें। 36 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। -नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय डालें। नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा को पहली तुड़ाई के बाद प्रयोग करें। रोग एवं कीट नियंत्रण: -शाख और फल का कीट (Shoot and Fruit borer): इस कीट के नियंत्रण के लिए 1 मिली स्पिनोसैड को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। -चेपा (Aphid): इस कीट से बचाव के लिए 300 मिली डाइमैथोएट को 150 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुवाई के 20-35 दिन बाद उपयोग करें। -खस्ता फफूंदी (Powdery mildew): इस रोग की रोकथाम के लिए 5 मिली डिनोकैप को 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। इसका 10 दिन के अंतराल पर 4 बार छिड़काव करें। -जड़ गलन (Root rot): इस रोग से बचाव के लिए बुवाई से पहले 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलो बीज का उपचार करें।

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